Antibiotic प्रतिजैविक दवाइयां
क्या है ?
Antibiotic प्रतिजैविक दवाइयां जिनके बारे में हम अक्सर सुनते हैं और प्रयोग करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ,
यह दवाइयां क्या है ?
क्यों प्रयोग की जाती है ?
और उनमें प्रयोग में क्या हानि है?
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दोस्तों एंटीबायोटिक शब्द 1942 में अमेरिकन साइंटिस्ट सोलोमन वाक्समैन ने दिया था। वैसे तो 1880 जर्मनी साइंटिस्ट पॉल ने इस पर काम किया।
इसके अलावा लुई पाश्चर और रॉबर्ट कोच ने इसको बनाने की शुरुआत की उन्होंने एंथ्रेक्स नाम की बीमारी की दवा विकसित की ,जो एक एंटीबॉडी थी।
तरीका
एंटीबायोटिक या प्रतिजैविक दवाई फंगस से बनाई जाती है और इसका इतिहास हमारे सोचने से पहले से है। पुराने समय में इसका प्रयोग अरब देशों में किया जाता था। इसके अलावा इसके बारे में आयुर्वेदा में भी जिक्र है। हम beta-lactam जैसे कुछ फंगस को प्रयोग करके पेंस्ललीन जैसे ताकतवर एंटीबायोटिक बनाते हैं।
Other
इसके अलावा ओफ़्लॉक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन और जेंटामाइसिन जैसे एंटीबायोटिक भी बनाए जाते हैं।
और इनका दो प्रकार होता है।
1. यह जीवाणुओं को मारता है ,
2. दुसरा इसका का विकास रोक देता है।
इसलिए इनकी दो प्रकार मानी जाती है ,जीवाणु नाशक एजेंट और बैक्टीरियोस्टैटिक एजेंट।
अंत
एंटीबॉडी के बिना हमारा मेडिकल विज्ञान जीरो है। इसलिए इसकी महत्ता के बारे में आपको और हमको बताता है। आज सैकड़ों बीमारियां एंटीबायोटिक से ठीक होती हैं।
साइड इफ़ेक्ट
लेकिन इसके अधिक प्रयोग से एंटीबायोटिक का प्रभाव कम व् कई बार तो लगभग ख़तम हो जाता है। जिससे रोगो का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। रोगी की जान जा सकती है। इसके आलावा एंटीबायोटिक हमारे पाचन क्रिया ,किडनी ,लिवर को भी प्रभावित करते है इस लिए इसका प्रयोग डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए।
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