मंगलवार, 12 जनवरी 2021

चेतना क्या है? consciousness kya hai? motivation

चेतना क्या है? 

चेतना क्या है ?
तना क्या है? consciousness kya hai

इसका हमारे स्वास्थ्य से क्या संबंध है ?

चेतना का अर्थ क्रियाशीलता होता है ,अर्थात चेतना हमे अहसास कराती है कि हम जीवित हैं। हमारे आसपास प्रत्येक वस्तु जिसका हम अनुभव कर सकते हैं ,देख सकते हैं ,सुन सकते हैं ,यह सब चेतना ही है। वैसे तो चेतना के अनेक अर्थ हो सकते हैं। लेकिन इन्हीं शब्दों से इस को परिभाषित किया जा सकता है।

चेतना क्या है ?

इसका हमारे स्वास्थ्य से क्या संबंध है ?

चेतना का अर्थ क्रियाशीलता होता है ,

चेतना हमको कंसेंसस करती है। हमें चेतना पृथ्वी ,आकाश हमारी भावनाओं का ज्ञान होता है। हम चीजों को देख रहे हैं ,यह भी चेतना हैं सुन रहे हैं ,यह भी चेतना हैं ,सुनने का काम हमारे कान और मस्तिष्क करते हैं। लेकिन उन चीजों को समझ पाना चेतना है। यदि हमारे पास चेतना नहीं होगी, तो हम एक लाश मात्र होंगे। हमारी चेतना समाप्त होने के बाद हमारा शरीर केवल एक मास का लोथड़ा होता है और फिर हम स्वयं ही उसको नष्ट करते हैं।

चेतना के स्वरूप

चेतना के कई स्वरूप हैं ,चेतना हमारे मस्तिष्क में भी है, हमारे हृदय में भी है ,हमारे हाथों में ,हमारी चीज में हर जगह चेतना है। जो हमें ज्ञान देते हैं कि हम जीवित हैं।

चेतना को हमारे स्वास्थ्य जोड़ना क्या सही है ?

आपने देखा होगा जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है। हम चीजों को अच्छी तरह समझते हैं। हमारे रिश्ते और अच्छे होते हैं। हम हर भावना को धीरे धीरे समझ जाते हैं। हमारे संबंध और निखर जाते हैं या हमारे कई सम्बन्ध टूट जाते हैं।

चेतना को जगाना

यह जैसे-जैसे हम जीवन जीते हैं ,अपने आसपास के वातावरण को समझते हैं। हम अपने आपके अंदर बसी हुई चेतना को जागृत करते हैं। उसको और बढ़ाते हैं। तो महसूस होता है कि हमारे आसपास कैसे लोग हैं। हमें किन लोगों की आवश्यकता है और किन लोगों की आवश्यकता नहीं है। कई लोगों की आवश्यकता ना होते हुए भी हमें उनके साथ संबंध रखना होता है। यह सब हमें चेतना सिखाती है।

चेतन मन

आपने देखा होगा बहुत सारे लोगों का साथ हमें अच्छा लगता है और बहुत से लोगों का साथ हमें अच्छा नहीं लगता। यह हमारी चेतना की वजह से होता है। कई लोगों की चेतना हमारी चेतना बहुत मेल खाती है। चाहे उनकी आदते अलग हो। रहन-सहन सब हमसे अलग हो। यदि हमारी चेतना उनकी चेतना से मेल खाती है। तो हमें वह लोग बहुत पसंद आते हैं।

विज्ञानं

इसका विज्ञानिक तथय भी है ,विज्ञान का मानना है कि हम केवल हाड मास से बने हुए एक वस्तु हैं। हम कुछ गणित के फार्मूला पर चलने वाली ही मशीन हैं ,इससे ज्यादा हम कुछ नहीं हैं।

लेकिन चेतना हमें इन सब से अलग करती है। हम कोई मशीन नहीं बल्कि जीवित प्राणी बनते हैं। आपने सुना होगा कई धर्म हमारी चेतना को जागृत करने का दावा करते हैं। जबकि हमारी चेतना हमेशा ही हमारे साथ होती है। जब तक हम जीवित हैं, जागृत होती है। लेकिन चेतना का दायरा बढ़ाना होता है। शायद वह उसी को चेतना जागृत करना कहते हैं। चेतना का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा असर है। चेतना जीवन जीने में बहुत आसान करती है। हमारे हज़ारो प्रश्नों का उत्तर चेतना के पास ही होता है कि हमें किस से संबंध बनाने हैं और किस तरह के संबंध बनाने हैं। इस सब का जवाब चेतना ही देती है।

चेतना बढाइये

हम मेडिटेशन ,योगा जैसे कर्म से अपनी चेतना को दायरा बढ़ा सकते हैं। हमारी सफलता में हमारी चेतना का बहुत बड़ा हाथ होता है। दुनिया के जितने भी सफल लोग हैं। उन सबकी जब भी जीवनी पढ़ी जाती है ,तो आप जानते हैं ,वह कुछ समय अज्ञातवास में गुजरते हैं। चाहे वे कितने भी बिजी हो ,अल्बर्ट आइंस्टाइन ,महात्मा गौतम बुद्ध इसके अलावा आज की पीढ़ी के होनहार वैज्ञानिक और बिजनेसमैन सब एक अज्ञातवास में अपना जीवन जरूर गुजारते हैं। जबकि उन जैसे लोगों को पता है, क्यों एक पल भी इतना कीमती होता है।

फिर क्यों करते हैं ?

क्योंकि हमारे सभी बड़े महान काम के पीछे चेतना का बहुत बड़ा हाथ होता है। हमें मनुष्य बनाने में हमें दयालु बनाने में चेतना का बहुत बड़ा हाथ होता है। चेतना के लिए हम एक सहारे की आवश्यकता होती है। जिसके लिए हमने ईश्वर का निर्माण किया। ईश्वर जैसी शायद कोई भी चीज नहीं होती। लेकिन हमारी चेतना ने ईश्वर का निर्माण किया। ताकि हम चेतना को जिंदा रख सकें। हमारे लाखों सवालों को हम ईश्वर पर डाल देते हैं।

ईश्वर

ईश्वर की परिभाषा ,हमने हमारे निर्माण करने वाले किसी महापुरुष पर रखी है। हर धर्म में वह अलग अलग हो सकते हैं। लेकिन हमारी परिभाषा एक ही होती है। जिसने हमें बनाया है और हमें जितनी भी चेतना है ,वह हमारे ईश्वर की देन है।

अंत

दोस्तों चेतना एक बहुत बड़ा विषय है। मैंने बहुत कम समय मैं आपसे इसके विषय में कुछ शब्द कहें ,हो सकता है, कई लोग इससे सहमत ना हो। लेकिन यह केवल मेरे जीवन का ही निचोड़ है। मैंने पूरे जीवन में जो भी सीखा ,वह मैंने आपको बताया। मैं विज्ञान से जुड़ा रहा हूं , अपने आसपास के हजारो और सैकड़ों लोगों से जुड़ा रहा। कई वर्षों तक कई धर्म के लोगों के साथ, जो कि सामान्य लोग थे ,बातें करके जो भी सीखा। वह मैंने आपको बता दिया।

यदि आपको फिर भी कोई शब्द आहत करता है। तो मैं उसके लिए आपसे क्षमा मांगता हूं।

धन्यवाद।


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thanks for interest.