corona plasma therapy
corona plasma therapy
दोस्तों आपने इस थीरोपी का नाम सुना होगा ।जो अभी काफी चर्चा में हैं। जर्मनी में इस तरह की थीरोपी पर काम हो रहा है। मैंने पहले भी आपने ब्लॉक में इसके बारे में बताया था। यदि किसी व्यक्ति जोकि करोना से संक्रमित था और ठीक हो गया। तो उसके शरीर में क्रोना के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है और वह इस बीमारी से लड़ सकता है। बस यही क्षमता डॉक्टर को चाहिए ।
corona plasma therapy
यदि कोई डोनर का ब्लड रोगी व्यक्ति को दिया जाए ।तो रोगी व्यक्ति जल्दी ही रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है और बीमारी से लड़ जाता है ।इसके लिए डॉक्टर को कुछ सावधानी रखनी होती है। हमें पता है की ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को उसी ग्रुप का रक्त चढाया जा सकता है ।जैसे ए पॉजिटिव को ए पॉजिटिव पाया जाता है और ओ नेगेटिव को ओ नेगेटिव ब्लड चढ़ाया जाएगा।
corona plasma therapy
इसके लिए हमारे रक्त कोशिकाओं को यानी ब्लड सेल को अलग किया जाता है। सबसे पहले ब्लड को heparin सलूशन में मिलाया जाता है। ताकि ब्लड खराब ना हो ।इस तरह ब्लड जमता नहीं ,उसके बाद खून के कंपोनेंट्स अलग किए जाते हैं ।यह प्रक्रिया बहुत आसान है। वैसे तो इसके लिए मशीन भी आती है। लेकिन एक साधारण सेंट्रीफ्यूज मशीन में डालकर भी यह काम किया जा सकता है। उसके बाद प्लाज्मा जो लिक्विड बचता है ।जो पानी की तरह होता है। उसको प्लाज्मा कहते हैं। उसको अलग किया जाता है ।रोगी व्यक्ति का ब्लड से डोनर व्यक्ति के ब्लड से मिलाया जाता है। इसके अंदर डोनर की कोशिकाएं और रोगी का plasma और रोगी के सेल डोनर ka plasma मिक्स करते है ।यदि यह टेस्ट पॉजिटिव आता है ।यानी सेल और प्लाज्मा मिल जाते हैं। तो उस ब्लड को रोगी को चढाया जाता है ।अलग अलग तरीके से यह प्रक्रिया की जाती है।
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